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Top bhoot ki kahani Secrets

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Bhoot ki kahani

प्रसाद ने पहले तो उसे डांटा कि वह पटरी के इतने पास क्यों गया। रमेश ने प्रसाद को अपने साथ घट रही सारी अजीब घटनाओं के बारे में विस्तार से बताया। प्रसाद तुरंत ही समझ गया। उसने कहा, इस इलाके में कई छलावे रहते हैं। वो सब रूप और शरीर बदल बदलकर आपसे बात करना चाहते हैं। उसके बाद आपको नुकसान पहुंचाने की भी कोशिश करते हैं।

और सारी बातें उन मम्मी – पापा को बता दी। मेरे पापा मानने को तैयार नहीं थे। कि मैं सच बोल रहा हूं।

उस स्टेशन पर ज्यादा पैसेंजर भी वेट नहीं करते थे। शहर की आबादी भी कम थी। रमेश इस बात से काफी नाराज था कि उसका ट्रांसफर ऐसी वीरान जगह पर कर दिया गया। एक रात रमेश खुद से ही बड़बड़ाता हुआ चला जा रहा था। क्या मुसीबत है?

*ये सीरीज पूर्व प्रकाशित सीरीज "मिट्टी - अंत या शुरुआत" का दूसरा सीजन है। तो इसे पढ़ने के पूर्व पहले उसे पढ़ लें। मिट्टी - अंत या शुरुआत" मेरी प्रोफाइल पर मौजूद है ***** वो रात्रि का दूसरा प्रहर था। ...

यह घटना चार-पांच दिन तक मेरे साथ होती रही। तो मैंने छठे दिन जब सवेरे मेरे मित्र लोग स्कूल में पढ़ाने आए । तब मैंने यह बात सबको बताई । सब ने बोला हां मैंने भी सुना है ।

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Bijay ..mujhe nh lagta ghost hai bol k sb pehele se hi dar chuke Hello so hum b darjate ..agar rat ko ap ko ek jaga me chhoddiaa jae to ap bna dare so jaoge ..par ap ko pata hai ki o samsan ghat hai so ap jite g mar jaoge ….

 रास्ते मैं छोटे-छोटे गॉव की बस्तियां थी जिधर से मैं गुजर रहा था । अचानक मेरी नज़र रस्ते के किनारे एक छोटे से बस स्टैंड पर पड़ी जहाँ एक औरत शायद अपने घर जाने के लिए बस का इन्तेजार कर रही थी । वह लाल और सफ़ेद पाढ़ वाले साड़ी पहनी हुई थी और उसके हाँथ मैं एक बड़ा सा हैण्डबैग था , उसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी ऑफिस से काम करती होगी।लेकिन मैं मन ही मन ये भी सोंच रहा था की आधी रात को वो यहाँ क्या रही है । मैं जब वहां से गुज़रा तो उसने मुझे रुकने का इशारा किया ,मैंने अपनी बाइक रोक दी ।

ऐसा क्या हुआ जो वह लड़की आज नहीं आई । फिर मैं अपने घर की तरफ निकल पड़ा। एक हफ्ते बाद मेरे घर पर एक चिट्ठी आई और मुझे पता चल गया था कि यह चिट्ठी उसकी ही है। उसमें उसका नाम प्रीति लिखा हुआ था।

और यह सब अपने पति के हाथों में झूठा करवा कर । हमें दे दो तब हम देखते हैं. कि हमसे क्या हो सकता है।

अब तो मानो शरीर का खून भी सूख गया था। उसी समय हमारी एक सहेली को खून की उल्टियां होने लगी। उसको छोड़ कर हम लोग भाग भी नहीं सकते थे। इतने में एक टीचर ने बोला। सब लोग आग जलाकर उसके सामने बैठ जाओ.

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